शिवराज के कांग्रेस की नई कार्यकारिणी को सर्कस बताने पर कमलनाथ का पलटवार, बोले- वो बौखला गए हैं

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू होने के साथ ही सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कांग्रेस की नई कार्यकारिणी को सर्कस बताने वाले बयान पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने पलटवार कर कहा कि वह बौखला गए हैं।
पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा, ‘उन्हें हमारे संगठन की चिंता क्यों हो रही है। वो डर गए हैं, घबरा गए हैं, बौखला गए हैं। इसलिए शिवराज सिंह जी के मुंह से घटिया बातें निकल रही हैं।’ शिवराज के कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी होने के आरोप पर कमलनाथ ने कहा कि यह झूठ के अलावा कुछ नहीं है। मध्य प्रदेश की जनता और आदिवासी गवाह है हमारी सरकार ने क्या क्या किया। उन्होंने कहा कि आज हर वर्ग परेशान घूम रहा है और यह कमलनाथ की आलोचना करते है। घटिया स्तर पर आ गए है। नई कार्यकारिणी को लेकर हो रहे विवाद पर बोले कमलनाथ ने कहा कि एक दो जगह ऐसा होता है ,दो माह बाद देखेंगे जो काम नही कर रहे उन्हें हटाएंगे भी।
दिग्विजय के बयान से किनारा
दिग्विजय सिंह के सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने के बयान से कमलनाथ ने भी किनारा कर दिया। इस सवाल पर नाथ ने कहा कि पार्टी का बयान आ चुका है कि वह दिग्विजय सिंह की व्यक्तिगत राय है, जो पार्टी का स्टैंड वह मेरा स्टैंड है। हम वचन पत्र बना रहे हैं मध्य प्रदेश आदिवासी बहुल प्रदेश है। उनका अधिकार बनता है सबसे ज्यादा प्राथमिकता उन्हें मिले।
जनता जानती है कांग्रेस का डीएनए
सीएम शिवराज के कांग्रेस का डीएनए पाकिस्तान परस्त बताने पर कमलनाथ ने कहा कि वे कांग्रेस के DNA की बात न करें। जनता सब जानती है कांग्रेस का DNA क्या है। आदिवासी कांग्रेस और सेवा दल की बैठकों पर कमलनाथ ने कहा कि समय-समय पर बैठकें होती रहतीं है, आदिवासियों में भील भिलाला, कोल, गोंड, सबकी अलग अलग मांगें हैं।
धीरेंद्र शास्त्री को लेकर यह बोले नाथ
बागेश्वर धाम महाराज पर कमलनाथ ने कहा, ‘मेरी तो कल ही उनसे बात हुई है, मैं तो वहां जाने वाला था। मगर उनके और मेरे तय नहीं हो पाया, मेरी तो उनसे बात होती ही रहती है। देखिये बात यह है कि जो हमारे धार्मिक लोग हैं, वो धर्म की बात करें। मैं भी चाहता हूं वो धर्म की बात करें, मैं तो वहा जा रहा था।’ धीरेंद्र शास्री द्वारा हिन्दू राष्ट्र बनाने के बयान पर कमलनाथ ने कहा कि देखिए सबके अपने अपने विचार हैं। लेकिन, अगर भारत को एक झंडे के नीचे रहना है तो बहुत बड़ी आवश्यकता है कि, हम भारत की संस्कृति और भारत के संविधान का पालन करें।