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डिण्डौरी के अभिषेक सिंह चंदेल ने एमपीपीएससी परीक्षा में प्रदेश में किया टॉप

अंग्रेजी साहित्य में हासिल किया पहला स्थान, जिले का नाम किया रोशन

डिण्डौरी-: मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्रोफेसर) चयन परीक्षा 2024 में डिण्डौरी जिले के ग्राम चटुवा निवासी अभिषेक सिंह चंदेल ने अंग्रेजी साहित्य विषय में प्रदेश भर में प्रथम स्थान प्राप्त कर इतिहास रच दिया है। उनकी इस असाधारण सफलता से न केवल डिण्डौरी बल्कि समूचा महाकौशल क्षेत्र गौरवान्वित हुआ है।अभिषेक सिंह चंदेल, जिनके पिता  अशोक सिंह चंदेल एक व्यवसायिक हैं और माता  लक्ष्मी चंदेल एक सामान्य गृहिणी हैं, अभिषेक के दादा जी रिटायरमेंट कॉलेज प्रोफेसर ने सादा जीवन, उच्च विचार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कठिन परिश्रम और अनुशासन के बल पर यह उपलब्धि हासिल की। अभिषेक की प्रारंभिक शिक्षा डिण्डौरी के केंद्रीय विद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने कक्षा 12वीं तक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए भोपाल गए, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक व परास्नातक की डिग्री अर्जित की और साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी जारी रखी।

एमपीपीएससी द्वारा आयोजित इस चयन परीक्षा के तहत विषय ज्ञान एवं सामान्य अध्ययन की लिखित परीक्षा में अभिषेक ने 81.5% अंक अर्जित किए। यह प्रदर्शन इतना उत्कृष्ट था कि साक्षात्कार में औसत अंक प्राप्त होने के बावजूद उनका कुल स्कोर प्रदेश में सर्वाधिक रहा और उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

अभिषेक ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों, मार्गदर्शकों और साथियों को दिया है। उनका कहना है कि यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उनके परिवार, गाँव और शिक्षकों के निरंतर सहयोग, विश्वास और प्रेरणा का फल है। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि नियमित अध्ययन, आत्मविश्लेषण और धैर्य के साथ की गई तैयारी अवश्य सफलता दिलाती है।उनकी इस उपलब्धि पर जिलेभर में हर्ष की लहर है। सामाजिक, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने अभिषेक को बधाई दी है। जिला प्रशासन ने भी उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है।

अभिषेक की इस कामयाबी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सीमित संसाधनों और छोटे नगरों से भी यदि लगन और परिश्रम के साथ प्रयास किया जाए तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। डिण्डौरी जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले से प्रदेश टॉपर बनने की इस उपलब्धि ने क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का नया द्वार खोल दिया है।

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