
आखिर जांच प्रतिवेदन की छाया प्रति देने में जिला पंचायत सीईओ को क्यों हो रही समस्या
डिंडौरी(संतोष सिंह राठौर) वैसे तो भ्रष्टाचार तले विकास के दबे होने की बात आए दिन अखबारों की सुर्खियां बटोर रही है पर ना शासन की नींद खुल रही है और ना ही प्रशासन की, जिसका परिणाम यह होता है कि शासन की जनकल्याणकारी योजना मैदानी स्तर पर दम तोड़ती नजर आ रही है देखने में यह आ रहा है की योजनाओं में गड़बड़ी के संबंध में ग्रामीणों के द्वारा आवाज ही नहीं उठाई जाती है क्योंकि योजना के संचालित करने मैदानी स्तर पर बैठे पंचायत कर्मियों से कहीं उनकी दुश्मनी ना हो जाए, फिर चाहे योजना का लाभ देने हितग्राहियों से कितने भी रुपए ऐंठ ही क्यों ना लें ,वही जो ग्रामीण भ्रष्टाचार की आवाज उठाते भी हैं तो, योजनाओं को संचालित करने जिन जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है वे उच्च अधिकारी मैदानी स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते फिर चाहे उसके लिए शासन के किसी भी कानून को ही क्यों ना तोड़ना पड़े। ऐसा ही मामला हाल ही में ग्राम पंचायत मडियारास को लेकर जिला पंचायत में सामने आया है जहां जांच प्रतिवेदन प्राप्त करने के लिए ग्राम पंचायत ग्रामीण के द्वारा 10/2/ 2025 को आरटीआई लगाई गई थी ताकि ग्राम पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की जांच का प्रतिवेदन जिला पंचायत से मिल सके, पर जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारीयों के द्वारा लगातार कुछ ना कुछ बात को लेकर टाल दिया गया और अब यह बोला जाने लगा कि जांच प्रतिवेदन न्यायालय में लग गया है सुनवाई पूरा होने के बाद ही जांच प्रतिवेदन दिया जा सकेगा इस तरह से जिला पंचायत के सभी जिम्मेदार अधिकारी खासकर रामजीवन वर्मा जो कि कई वर्षों से अधिक समय से जिला पंचायत में तैनात हैं जिनका विशेष लगाव सभी ग्राम पंचायत भ्रष्टाचारियों को बचाने में होता हैऔर उनका सभी ग्राम पंचायतों में सांठ-गांठ होने की खबर है सूत्र तो यह भी बदलते हैं कि राम जीवन वर्मा जिला पंचायत में चल रहे सभी जांच में बाधा बनकर खड़े रहते हैं क्योंकि हर ग्राम पंचायतों के कर्मचारी किसी न किसी तरीके से उनसे जुड़े हुए हैं अधिकांशतः देखने में भी आ रहा है कि किसी भी मामले को लेकर ग्रामीण शिकायत करते हैं तो रामजीवन वर्मा के द्वारा उन ग्रामीणों को इस कदर चमकाया जाता है कि वो ग्रामीण जिला पंचायत का रास्ता ही भूल जाते हैं इस तरह से जिला पंचायत में ग्रामीणों की आवाज को लगातार दबा दिया जाता है वर्तमान में ग्राम पंचायत मडियारास मामले को भी लेकर यही बात सामने आ रही है क्योंकि पूर्व में जब जांच प्रतिवेदन प्राप्त करने आरटीआई लगाया गया था तब 2 दिन में मिलने का आश्वासन दिया गया था और लगातार मिल जाएगा कहते हुए आरटीआई शाखा से जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराए जाने शिकायत शाखा को निर्देश भी दिया गया था कि आर टी आई शाखा में जांच प्रतिवेदन जमा करें,साथ ही आरटीआई प्रेषित करने वाले आवेदक को भी आरटीआई शाखा से पत्र भेजे गए थे जांच प्रतिवेदन प्राप्त करने के लिए पर अचानक ऐसा क्या हुआ कि जांच प्रतिवेदन को न्यायालय प्रकरण में दर्ज कर लिया गया और जांच पर प्रतिवेदन आरटीआई के तहत देना जरूरी नहीं समझा गया।
आखिर क्या है जिला पंचायत के अधिकारियों की मंसा ?