
भारत का लोहा दुनिया को मनवाने वाले वैज्ञानिक आर्यभट
डिंडौरी(संतोष सिंह राठौर )मेकलसुता महाविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा महाविद्यालय में महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट की जयंती मनाई गई इस अवसर पर प्राचार्य डॉ बीएल द्विवेदी ने बताया कि खगोलशास्त्र का अर्थ है ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति एवं गति के आधार पर पचांग का निर्माण, जिससे शुभ कार्यों के लिए उचित मुहूर्त निकाला जा सके। इस क्षेत्र में भारत का लोहा दुनिया को मनवाने वाले वैज्ञानिक आर्यभट के समय में अंग्रेजी तिथियाँ प्रचलित नहीं थीं।
अपने एक ग्रन्थ में उन्होंने कलियुग के 3,600 वर्ष बाद की मध्यम मेष संक्रान्ति को अपनी आयु 23 वर्ष बतायी है। इस आधार पर विद्वान् उनकी जन्मतिथि 21 मार्च, 476 ई. मानते हैं। उन्होंने स्वयं अपना जन्मस्थान कुसुमपुर बताया है। कुसुमपुर का अर्थ है फूलों का नगर। इसे विद्वान् लोग आजकल पाटलिपुत्र या पटना बताते हैं। 973 ई0 में भारत आये पर्शिया के विद्वान अलबेरूनी ने भी अपने यात्रा वर्णन में ‘कुसुमपुर के आर्यभट’ की चर्चा अनेक स्थानों पर की है।
प्रो विकास जैन ने विद्यार्थियो को बताया कि जब भारतीय ज्योतिष पर से लोगों का विश्वास उठ गया। ऐसे में लोग इन्हें अवैज्ञानिक एवं अपूर्ण मानकर विदेशी एवं विधर्मी पंचांगों की ओर झुकने लगे थे।
आर्यभट ने इस स्थिति का गहन अध्ययन किया और कमियों को दूरकर नये प्रकार से जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया। उन्होंने पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों की अपनी धुरी तथा सूर्य के आसपास घूमने की गति के आधार पर अपनी गणनाएँ कीं।
इससे लोगों का विश्वास फिर से भारतीय खगोलविद्या एवं ज्योतिष पर जम गया। इसी कारण लोग उन्हें भारतीय खगोलशास्त्र का प्रवर्तक भी मानते हैं। आप नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे।
महिला सशक्तिकरण पर हुआ आयोजन
साथ ही महिला यौन उत्पीड़न प्रतिरोध प्रतितोषण समिति के द्वारा महिला सशक्तिकरण पर महाविद्यालय की छात्राओं के जागरूकता हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें अतिथियों ने छात्राओं को जागरूक रहने एवं विभिन्न प्रकार के उनके अधिकारों और उत्पीड़न संबंधी जानकारियां प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन प्रो निशात अर्शी द्वारा किया गया कार्यक्रम में प्रो ज्योति द्विवेदी, प्रो राम सिंह, प्रो सुभाष शाह, प्रो अर्चना अवधिया, प्रो सुचिता पटेल कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

