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किराया नहीं दिया तो मकान मालिक ने भगाया अब उसी खंडहर भवन के पास खुले आसमान के नीचे लग रहा प्रायमरी स्कूल

खंडहर भवन व शौचालय में लगने के बाद किराए के कच्चे मकान में लगाया स्कूल

करंजिया विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत भुसंडा के पोषक ग्राम लखनपुर का मामला

डिंडौरी/गोरखपुर -: डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत भुसंडा के पोषक गांव लखनपुर में सरकारी प्रायमरी स्कूल की अजब कहानी है दरअसल वर्तमान में यहां उसी खंडहर भवन के पास खुले मैदान में स्कूल लगाया जा रहा हैं जहां ग्राम के लोगों ने पूर्व में विरोध कर बंद कराया था क्योंकि तब भवन की ऐसी जर्जर स्थिति थी कि चाहें जब छत से प्लास्टर गिर जाता था छत नीचे की ओर झुकता जा रहा था ऐसे में ग्रामीण एवं अभिभावकों ने भवन की स्थिति को देखकर उचित स्थान पर स्कूल का संचालन किए जाने की मांग की थी स्थानीय लोगों के मांग अनुरूप शिक्षकों ने काम चलाने के उद्देश्य से गांव के ही एक कच्चे मकान को किराए पर लेकर स्कूल लगाया अंततः जब मकान मालिक को किराया नहीं मिला तो उसने भी अपने मकान में स्कूल लगाने से मना कर दिया आखिरकार अब बच्चे अव्यवस्थाओं के बीच सभी मौसम के सितम सहते हुए खुले आसमान के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं प्रशासनिक उदासीनता के शिकार होकर अफसरों की भर्राशाही के चलते अध्ययनरत 22 बच्चों की बैठक व्यवस्था बनाने में मप्र की सरकार असफल है, गौरतलब है कि यह वही स्कूल है जहां के नौनिहाल जान जोखिम में डाल तमाम यातनाएं सहते हुए खंडहर भवन व शौचालय में बैठकर पढ़ाई करते थे ऐसे असुविधाओं के बीच बच्चे कैसे अच्छा पढ़ाई करते होंगे यह सहज ही कल्पना कर अंदाजा लगाया जा सकता है बहरहाल यह पहला मौका है जब सरकार सरकारी स्कूल के नौनिहालों के लिए पावन उद्देश्य से अनेकों योजनाएं चला रही है मगर व्यवस्थागत कमी ऐसी हैं कि इनका लाभ जरुरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा जबकि सरकार का हर संभव प्रयास है कि सरकारी स्कूलों में विघार्थियों के लिए तमाम व्यवस्थाएं ठीक ठाक हो इसके लिए शासन ने मध्यान्ह भोजन गणवेश तथा सायकिल आदि निशुल्क देने की काम कर रहीं ताकि छात्र स्कूल आने में न कतराएं और शतप्रतिशत उपस्थिति बनें मगर लखनपुर के सरकारी स्कूलों की कहानी इससे उल्टा है यहां सरकार के सारे योजनाएं औपचारिक हैं तमाम सुविधाएं कागजों में बढ़िया है इससे दुखदाई यह है कि आज तक विकास खंड के शिक्षाधिकारियों ने स्कूल पहुंचकर कमियों के बारे में नहीं जानना चाहा।हद की बात यह हैं कि स्कूल प्रबंधन ने जिम्मेदारों को भवन के जर्जर होने की जानकारी दें दी है मगर फिर भी व्यवस्था बनाने की दिशा मेंआज तक कुछ नहीं किया गया। जैसे जर्जर स्कूल पर शिक्षा विभाग को किसी बड़े अनहोनी होने का इंतजार है।समय रहते अव्यवस्थाओं पर सुधार न करना और उदासीन बने रहना अनेकों सवालों को जन्म देता हैं। जबकि विकास खंड के शिक्षाधिकारियों ने आज तक यह देखना जरुरी नहीं समझा कि किन हालातों में यहां के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, बहरहाल आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि विभागीय अधिकारी व्यवस्था बनाने में कितना जल्दी संज्ञान लेते हैं।

सात सौ रुपए में तय हुआ था मकान का किराया-

मकान मालिक चेतराम धुर्वे की धर्मपत्नी ने रविवार को बातचीत में बताया कि इस मकान में प्रायमरी स्कूल लगाने के लिए शिक्षकों के साथ सात सौ रुपए माह में तय हुआ था तीन माह तक हमारे मकान में स्कूल लगाएं मगर किराया नहीं दिया इस बीच जब भी शिक्षकों से पैसे के लिए कहा जाता तो वे संतोषजनक जवाब नहीं देते थे बस जब पैसा आएगा तो मिल जाएगा करके टालमटोल करते जा रहे थे आखिरकार जब किराया मांग- मांग कर थक हार गये तो मजबूरी में मकान खाली कराना पड़ा इतना समय बीतने के बाद भी अभी तक किराए की राशि नहीं मिली है।

पढ़ाई हुआ चौपट –

यहां के स्कूल में बैठक व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने से सबसे अधिक नुकसान बच्चों का हुआ है ग्रामीणों का कहना है कि केवल भवन की समस्या नहीं बल्कि शिक्षकों की लापरवाही और मनमानी के चलते यहां बराबर स्कूल नहीं लगाया जाता ऊपर से मौसम खराब हो तो छुट्टी कर देते हैं ऐसे में पढ़ाई को लेकर सर्वाधिक नुकसान बच्चों का हुआ है बच्चों के शिक्षा का स्तर निम्न हैं अब चूंकि फरवरी माह अंतिम दौर पर है वार्षिक परीक्षाओं के लिए चंद दिन शेष हैं ऐसे में विघार्थियों को पढ़ाई का बढ़िया माहौल मिलना चाहिए जो यहां दूर दूर तक संभव नजर नहीं आता वहीं शिक्षक की मौजूदगी में बच्चे पेड़ों पर लटक कर खेलने कूदने में मस्त रहते हैं ऐसे परिस्थितियों में पढ़ाई की नैया कैसे पार होगी सोचनीय है।

ग्रामीण बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़ –

ग्रामीणों ने बातचीत में संयुक्त रूप से कहा कि प्रशासन हमारे बच्चों की भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें। हमारे बच्चों को भी पढ़ने दें यघपि जब स्कूल भवन ठीक था,तो उसी समय चिंता कर लिया जाता तो आज ऐसे हालात न बनते मरम्मत का फंड आता है उसका उपयोग कहां किया गया अब जब भवन एकदम ही जर्जर हो गया तो उसे बंद कर दिया ये सरासर शिक्षा विभाग की लापरवाही का नतीजा है जिसका खामियाजा हमारे बच्चें भुगत रहें हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि अगर जल्द ही गांव के अंदर स्कूल का संचालन नहीं किया जाता तो संभवतः बच्चे स्कूल जाना बंद कर सकते हैं अब बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे उनके के अंदर शिक्षा अध्ययन की वो ललक नहीं देखने मिलता अमूमन जो होना चाहिए लिहाजा भविष्य की चिंता को देखते हुए ग्रामीणों ने जिम्मेदारों से मांग किया है कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की बजाय मजबूत व्यवस्था बनाने पर ध्यान दिया जाए।

भवन की स्थिति –

देखने में आया है कि स्कूल की दीवारों में जगह-जगह दरार पड़ गई हैं। दीवारों का प्लास्टर उखड़ रहा है।छत नीचे की ओर झुक गया है जिसे देखने में डर लगता है ऐसा लगता है कि अब गिरा तब गिरा खिड़की दरवाजे भी जोड़ दिए हैं दीवारों में सीलन है। भवन की ऐसी दुर्दशा के बाद वही बिठाकर स्कूल लगाना और बच्चों को कमरे के अंदर बाहर आना जाना सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है बावजूद इतनी कमियों के नौनिहाल यहां बैठने मजबूर हैं जबकि जर्जर भवन के कारण दुर्घटना की आशंका लगी रहती है। ऐसे में जहां जर्जर भवन की सुध नहीं लिए जाने से पालकों में चिंता है। वहीं उनका आरोप हैं कि जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते यहां अराजक व्यवस्थाएं व्याप्त हैं। अभिभावकों का कहना हैं कि स्कूल लगने के समय हमारे बच्चे इसी जर्जर भवन के आसपास बैठते और खेलकूद करते हैं इसकी छत कब गिर जाएं कहां नहीं जा सकता क्योंकि दीवार की जोड़ अलग दिख रही हैं दीवारों में भी दरारें पड़ चुकी हैं और प्लास्टर हाथ लगाने भर से उखड़ रहा है। यघपि उनके बच्चे के सिर पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है वें ऐसे ही माहौल में शिक्षा ग्रहण करने मजबूर हैं गौरतलब है कि भवन के आसपास लोग जाने से कतराते हैं वहीं कक्षाएं संचालित करना बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करता हैं यह नौनिहालों के जीवन के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा बहरहाल यदि कोई अप्रिय स्थिति बन जाएं तो कौन जवाबदार होगा बावजूद इतने जोखिम के गांव के छोटे गरीब परिवार के बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने के लिए विवश हैं।

इनका कहना है

मुझे आपके द्वारा जानकारी मिली है मैं कल स्वयं जाकर स्कूल का निरीक्षण करता हूं।

आर एस सिंद्राम
जिला शिक्षा अधिकारी डिंडौरी

इस संबंध में जनपद के विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर व्यवस्था बनाएंगे और जैसे ही मैं गांव आऊंगी तो लखनपुर जाकर स्कूल का निरीक्षण करूंगी।

गीता पट्टा
जनपद उपाध्यक्ष एवं शिक्षा सभापति ब्लाक करंजिया

स्कूल की स्थिति के बारे में ब्लाक से लेकर जिले के अधिकारी कर्मचारी को अवगत है कंटीजेंसी की राशि आने पर किराया दिया जाएगा ।

दीप सिंह परस्ते
शिक्षक प्रायमरी स्कूल लखनपुर

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