Dindori

बीज उपचार करने से फफूंद, उक्ठा जैसे अनेक रोगों से मिलता है निदान -जैविक कृषि विशेषज्ञ बिहारी लाल साहू


जैविक विधि से धान उपचारित कर नर्सरी तैयार करके धान बोने से पैदावार दोगुनी होती है

डिंडौरी/शहपुरा:- भारतीय किसान संघ जिलाध्यक्ष व जैविक कृषि विशेषज्ञ साहू जिला डिण्डोरी के किसान बंधुओ को जैविक खेती करने का सलिखा सिखा रहे है साथ ही स्वंय जैविक खेती कर लोगों को प्रायोगिक जानकारी देकर फसल जैविक खेती के महत्व को बता रहे है ।

बिहारी जी किसान बंधुओ को जैविक उत्पाद के बनाने, संरक्षण व संवर्धन करने का सरल तरीका भी बता रहे है, वर्तमान में किसान खरीफ का फसल धान बुवाई करने बाले है इसलिए किसान जैविक विधि से धान का उपचारित कर बुवाई करते है तो फसल की पैदावार अधिक होगी साथ ही मिट्टी उपजाऊ बनती है ।

धान का उपचार कैसे करते है जानें सरल तरीका

एक क्विंटल बीज के उपचार करने के लिए 10 लीटर गौमूत्र,1 किलोग्राम गोबर,250 मिलीलीटर गाय की कच्चा दूध,और 1 किलोग्राम खाने का चूना सभी को एक तसले में मिलाकर तैयार करेगे, इसके उपरांत धान या अन्य बीज को अच्छी तरह से मिलाकर 10 मिनट छाया में सूखा लेना चाहिए।

धान के उपचार करके धान की नर्सरी बनाने के फायदे

धान का उपचार इसीलिए करना चाहिए जिससे फफूंद, उक्ठा एवं अनेक प्रकार के रोग धान में नही लगता है साथ ही धान में गोबर मिलाकर बुवाई करने से चिड़िया एवं पक्षियों से धान को बचाया जा सकता है क्योकि धान के ऊपरी परत पर गोबर लगने से चिड़िया नहीं खाती है।

कैसे तैयार होता है धान की नर्सरी

नर्सरी तैयार करने के लिये भूमि का स्थान चयन करें,भूमि हल्का ढलान हो या जिसका खेत का स्थान पर ऊंचे हो पानी ना भरे ऐसा जगह पर नर्सरी तैयार करना चाहिए जब धान 14 दिन से ऊपर और 21 दिन के अंदर का हो जाए तो धान की रोपाई कर देना चाहिए जिससे धान अपनी जड़ सही समय में फैलाकर अधिक मात्रा में (पीका) तना निकाल सके एवं धान की रोपाई 25 सेमी. की दूरी पर करना चाहिए।

इस तरीके से जैविक विधि से धान की बुवाई या रोपाई की जाती है तो किसान बंधुओ को फसल की अधिक पैदावार प्राप्त होगी ।

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