
छात्र छात्राओं को वितरित किये गये प्रमाण-पत्र
आत्म निर्भर भारत बनाने में वैज्ञानिकों की है अहम् भूमिका
वैज्ञानिकों का किया गया सम्मान
डिंडौरी(संतोष सिंह राठौर )स्थानीय मेकलसुता महाविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान उत्सव के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मेकलसुता महाविद्यालय के संस्थापक बद्रीप्रसाद बिलैया, समन्वयक डॉ. एस.के.पाण्डेय, प्राचार्य डॉ. बी.एल.द्विवेदी, रजिस्ट्रार डॉ. प्रदीप द्विवेदी मंचासीन रहे। विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से सीएसआईआर, परमाणु ऊर्जा विभाग, डीआरडीओ, मौसम विभागों के वैज्ञानिकों ने अपने-अपने अनुसंधान कार्यो और उसकी उपयोगिता का वर्णन किया जिसमें म.प्र. वैज्ञानिक साक्षरता सह स्वास्थ्य एवं आरोग्य उत्सव के द्वारा आयोजित होने वाले इस तरह के कार्यक्रमों की प्रमुख भूमिका का वर्णन भी किया। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से आये हुए वैज्ञानिकों का महाविद्यालय के संस्थापक बद्रीप्रसाद बिलैया जी के द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम में लगभग 800 से अधिक विद्यार्थियों अनुसंधानकर्ता प्राध्यापकों ने पंजीयन कराया और इस राष्ट्रीय विज्ञान उत्सव का महत्व जाना। साथ ही छात्र छात्राओं को कार्यषाला का सहभागिता प्रमाण-पत्र भी वितरित किया गया।
आधुनिक उपकरणों व हथियारों से बढ़ती है देष की शक्ति –
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से डॉ. एम.के. मेघवंशी वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पॉवर पाइंट प्रेजन्टेशन के माध्यम से रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में डी आर डी ओ द्वारा किये जा रहे कार्यो का वर्णन करते हुए कहा कि अत्याधुनिक प्रणालियों द्वारा भारत को हम आत्म निर्भरता की ओर ले जाने के लिए कार्य कर रहे हैं तीनों सेनाओं द्वारा समय-समय पर आवश्यक आधुनिक उपकरणों, हथियारों एवं लाइफ सपोर्ट प्रणालियों से भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाने में विभाग कार्य कर रहा है। बलस्य मूलम विज्ञानम अर्थात शक्ति का सोत्र विज्ञान है जो शांति और युद्ध में राष्ट्र को संचालित करता है। रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में राष्ट्र को आत्म निर्भर बनाने में डी आर डी ओ लगातार प्रयत्नशील है। डॉ. मेघवंशी ने डी आर डी ओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला द्वारा विकसित विभिन्न उत्पादों यथा एनबीसी सूट, सी डब्ल्यू फर्स्ट ऐड किट, केमिकल एजेंट मॉनिटर एवं बायोडाइजेस्टर तकनीकी के बारे में भी बताया । वर्तमान में डी आर डी ओ की ग्वालियर लैब द्वारा विकसित बायोडाइजेस्टर तकनीक का उपयोग मानव अपशिष्ट उपचार हेतु भारतीय सेनाओं के अलावा रेलवे द्वारा भी बायोटॉयलेट के रूप में किया जा रहा है जिसने सरकार के स्वच्छ भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
किसानों के लिए वरदान है – मेघदूत ऐप
डॉ. बैजू जॉन जोसफ वरिष्ठ वैज्ञानिक मौसम विभाग से आपने बताया कि मेघदूत जैसे भारतीय ऐप को बनाकर हम भारतीय किसानों के लिए कृषि को सरलता की ओर ले जा रहे हैं अब किसान इस ऐप के माध्यम से घर बैठे ही मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। मौसम विभाग लगातार नई नई तकनीकों के माध्यम से पंचागों का निर्माण करने के लिए सूचनाऐं एकत्र कर संबंधित विभागों को पहंुचाता है। डॉ. संदीप सिंघई वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएसआईआर ने बताया भारत की बौद्धिक सम्पदा को वर्तमान में प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर विष्व स्तर पर अनुसंधान कार्यो के द्वारा आत्म निर्भरता की ओर भारत को ले जाने के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं। आत्म निर्भर भारत के समने को पूरा करने के लिए नवीन समाधान और क्षमता निर्माण विकसित कर भारत को वैष्विक रूप से विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में सफल बनाना हमारा लक्ष्य है। डॉ. जीतेन्द्र सिंह परमाणु ऊर्जा विभाग ने बताया कि हरित क्रांति के बाद बहुत ज्यादा कीट नाषक का उपयोग हो रहा है जो मिट्टी को प्रभावित करते हैं। हम ऐसी किट तैयार कर रहे है जो ज्यादा प्रभावी हो और पर्यावरण के लिए नुकषान दायक न हो। साथ ही महाविद्यालय के संस्थापक श्री बद्रीप्रसाद बिलैया जी ने विद्यार्थियों के लिए घोषणा की है कि इन तीन दिनों में विभिन्न विभागों के द्वारा जो भी कार्य किये जा रहे हैं उनकों अपने जीवन में उतारें और एक रिर्पोट तैयार करें जिस विद्यार्थी की रिर्पोट सबसे अच्छी होगी, उसे लैपटॉप देकर सम्मानित किया जावेगा। कार्यक्रम का संचालन प्रो. विकास जैन द्वारा किया गया। तीन दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने में मेकलसुता महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा।

