अमृतसरोवर को लगा भ्रष्टाचार का जहर, बूंद भर पानी को तरस रहा तालाब
भूमि का जल स्तर बढ़ाने अमृत सरोवर योजना अंतर्गत तालाब का कराया जा रहा निर्माण

गुणवत्ताहीन निर्माण कराए जाने के कारण , गर्मी के पहले ही सूख गया लाखों की लागत से बना तालाब
डिंडौरी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत सरहरी का मामला
डिंडौरी(संतोष सिंह राठौर) लगातार भूमि के गिरते जल स्तर को नियंत्रित करने केंद्र सरकार के द्वारा देश भर के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसी क्रम में डिंडौरी जिले में भी ग्रामीण यांत्रिकी संभाग डिंडौरी के द्वारा बड़े पैमाने पर लाखों की लागत से अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य कराए गए हैं, जहां अमृत सरोवर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार की मंशा हैं की जल संरक्षण के साथ – साथ दर्शनीय स्थल विकसित तो किए जाए ही, साथ ही अमृत सरोवरों में मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन जैसे गतिविधियां क्रियान्वित कर रोजगार के सृजन का उद्देश्य भी प्रमुख हैं। लेकिन डिंडौरी जिले के अधिकारियों ने आजादी का अम्रत महोत्सव अभियान के तहत कराये जा रहे अमृत सरोवर निर्माण में मापदंडों को दरकिनार करते हुए मनमाफिक ढांचा तैयार कर सरकारी राशि का दुरुपयोग करने पर आमादा हो गए हैं। जिसका परिणाम यह हुआ है कि लाखों की लागत से निर्मित अमृत सरोवर तालाब गर्मी से पहले ही सूख गए और कुछ तालाब सूखने के कगार में है।
सरकारी राशि के दुरुपयोग करने की सत्यता को प्रदर्शित कर रहे सूखे तालाब
बता दे कि डिंडौरी जनपद के ग्राम पंचायत सरहरी में 57.54 लाख रुपए खर्च कर अमृत सरोवर योजना अंतर्गत तालाब निर्माण तो करा दिया गया। पर तालाब निर्माण कार्य में उपयंत्री, सहायक यंत्री और ठेकेदार के द्वारा मिलीभगत से कर भ्रष्टाचार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के चक्कर में गुणवत्ताहीन तालाब का निर्माण कराया दिया गया। जिसकी वजह से लाखों रू. खर्च करने के बावजूद तालाब बूंद भर पानी को तरस रहा है । तालाब में अब धूल उड़ रही है। कार्यस्थल मुरमी पहाड़ी होने के साथ ही पानी का कोई जीवंत जल स्त्रोत नहीं होने के चलते भविष्य में भी अनुपयोगी ही साबित होगी। क्योंकि तालाब के नींव से लगातार तेजी से पानी रिसाव होता रहता था जिसकी वजह से तालाब गर्मी से पहले सूख गया।
बारिश के पानी में लबालब भरने के बावजूद सूख गया अमृत सरोवर योजना से निर्मित तालाब
स्थानीय ग्रामीणों ने जानकारी में बताया है कि बारिश के पानी में तालाब लबालब भरा हुआ था लेकिन तालाब के नींव से लगातार तेजी से पानी का रिसाव होने की वजह से तालाब का पानी गर्मी से पहले ही सूख गया। वहीं तालाब में बनाए गए पिचिंग में भी अनुपयोगी छोटे—छोटे रोड़ी पत्थर का उपयोग किया गया है। शुरूआती दौर में निचली सतह को भी खुदाई कर नींव नहीं रखी गई इसी तरह उपयंत्री और सहायक यंत्री के मिलीभगत से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। वही चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए उपयंत्री गिरवर डहेरिया और आरईएस विभाग के अधिकारी किसी भी स्तर पर अनियमितता करने को तैयार नजर आते हैं।
जानकारी के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं उठा रहे ठोस कदम
जिस तरह जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत कराये जा रहे तालाब निर्माण कार्य में लगातार अनिमित्ताएं सामने आ रहीं है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित उपयंत्री,सहायक यंत्री के द्वारा उक्त तालाब का गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं कराया गया। जिला प्रशासन को चुनौती देते हुये डिंडौरी जनपद क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर तालाबों का गुणवत्ताहीन निर्माण कराया गया है जो गर्मी से पहले सूख गए है। आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी निर्माण कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को रोक क्यों नहीं पा रहे हैं। यह भी एक बडा सवाल है कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन है। जबकि उपयंत्री एवं सहायक यंत्री को निर्माण कार्य की लगातार निरीक्षण करते हुए गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए गए है। किंतु मापदंड को दरकिनार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचने के चलते गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य कराये जाने में उपयंत्री महोदय कोई रूचि नहीं दिखा रहे है। वहीं जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोकने की जबाबदारी दी गई है वह भी पैसों के चमक के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। जिसे देखकर लगता है कि जिम्मेदारों के द्वारा भ्रष्टाचार कर राशि गबन करने की आजादी दे दी गई है। शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। क्या आला अधिकारियों के द्वारा मिलीभगत कर खुलेआम भ्रष्टाचार को छुपाने का यह खेल खेला जा रहा है।