महाशिवरात्रि पर्व पर ऋण मुक्तेश्वर मंदिर कुकर्रामठ में भरेगा मेला


भगवान शिव पर जलाभिषेक करने दूर-दूर से पहुंचेंगे श्रद्धालु
डिंड़ौरी संतोष सिंह राठौर/महाशिवरात्रि विशेष-
जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ऋण मुक्तेश्वर मंदिर कुकर्रामठ में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मेला भरेगा दूरदराज से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु ऋण मुक्तेश्वर मंदिर में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के साथ-साथ गेहूं की बाली दूध दही शहद चावल आदि अर्पण करेंगे और अपनी मनोकामना पूर्ण करने की अर्जी लगाएंगे कहा जाता है कि यह पर्व विशेष फलदाई है वैसे तो भगवान भोलेनाथ के आराधना के लिए हर पर्व फलदाई है पर महाशिवरात्रि का पर्व विशेष फलदाई है इस पर्व को लेकर अनेक मान्यताएं हैं कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ इतने दयालु है कि एक बार, एक शिकारी अपने परिवारिक भरण पोषण के लिए शिकार की तलाश में तालाब के किनारे बेल के पेड़ पर चढ़ गया था और सुबह से भूखा प्यासा जल के सहारे सारी रात जानवरों को ताड़ता रहा इसी दौरान गुस्से में आकर बार-बार बेल पत्रों की टहनियों को तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता रहा और तुमडी में रखे जल को पीता रहा वही बेल के पेड़ के नीचे भगवान शिव का शिवलिंग प्रतिष्ठात था जो कि बेल पत्रों से ढका हुआ था और जब वह बेलपत्र की टहनियां नीचे फेंकता तो वे टहनिंया शिवलिंग में पड़ता और पानी पीने के दौरान पानी भी शिवलिंग पर पड़ता इस तरह अनजान में भगवान शिव की महाशिवरात्रि व्रत उस शिकारी के द्वारा हो गया जिससे भगवान भोलेनाथ उस शिकारी के ऊपर प्रसन्न होकर दर्शन दिए और वरदान ऐसे हैं भगवान भोलेनाथ एक मान्यता यह भी है की महाशिवरात्रि के दिन ही अग्नि स्वरूप भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग से सृष्टि का निर्माण हुआ था इसलिए भगवान भोलेनाथ की पूजन महाशिवरात्रि पर्व पर करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं
वेद पुराणों से यह जानकारी मिलती है की गेहूं की बाली दूध दही शहद एवं चावल चढ़ाने से विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है
