
जिले का अधिकांश विभाग प्रभारी अधिकारियों के भरोसे हो रहा संचालित
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डिंडौरी( संतोष सिंह राठौर)जिले भर में जिम्मेदार अधिकारियों के सुस्त रवैया से विकास की रफ्तार कम हो गई है हर विभागीय कार्यों में भ्रष्टाचार चरम पर है जिसका मुख्य कारण जिले में एक ही अधिकारी हो या कर्मचारी को अनेक कार्य सौंप दिए जाते हैं जिससे कोई भी कार्य जिम्मेदारी पूर्वक नहीं हो पता है जो वजह बनता है भ्रष्टाचार का देखा जाए तो पहले तो ग्राम पंचायत जहां से शासन की योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को दिया जाता है पर ग्राम पंचायत स्तर से हर ग्रामीणों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता जिसका खुलासा आए दिन अखबारों की सुर्ख़ियों से एवं शिकायत के माध्यम से होता है जिसका मुख्य वजह कहीं ना कहीं यह भी भी है की ग्राम पंचायत सचिव हो या रोजगार सहायक एक पंचायत में पदस्थ तो हैं ही साथ ही उनको अन्य पंचायत का भी प्रभाव दे दिया जाता है अब वह सचिव हो या रोजगार सहायक दो- दो पंचायतों की जिम्मेदारी उठाते हैं तो पंचायत के समस्त ग्रामीणों को लाभान्वित कैसे कर सकता है अव्यवस्था फैलने का मुख्य कारण यह भी है इसी तरह जनपद पंचायत में भी होता है जहां जनपद भर के ग्राम पंचायत में योजनाओं का सुचारू रूप संचालित करने का कार्य किए जाते हैं एवं उन कार्यों की गुणवत्ता और भुगतान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है पर एक ही अधिकारी को एक से दो जनपद का प्रभार दे दिया जाए तो दोनों जनपद की ग्राम पंचायतों में योजनाओं का सफल संचालन कैसे हो सकता है जबकि एक जनपद में 400 से अधिक ग्राम पंचायत हैं यही कारण है कि,ना ही शासन की योजनाओं का सफल संचालन हो पता है और ना ही कार्यों का निरीक्षण हो पता है ना ही कार्यों का समय पर मूल्यांकन के साथ-साथ भुगतान हो पता है अब यही हाल जिला पंचायत का हो गया है जहां से जिले भर में योजनाओं का संचालन होता ही है साथ ही हर कार्यों की देखरेख की जिम्मेदारी कार्य का भुगतान और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने कार्रवाई भी किए जाने की जिम्मेदारी होती है पर इस महत्वपूर्ण पद पर अन्य विभाग से प्रभारी अधिकारी का कब्जा होना, जिले के विकास में रोडा है ऐसे में जिले के विकास की कल्पना करना ही व्यर्थ है जब स्वयं अधिकारी भी इस जिम्मेदार पदीय दायित्व पर खरा नहीं उतर पाते हैं तो प्रभारी अधिकारी से क्या ही होगा।