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नगर परिषद की निष्क्रियता दर्शा रहे जनपद के सामने पड़े खाने के प्लेट

ना ही जनपद के कर्मचारीयों ने निभाई अपनी जिम्मेदारी और ना ही नगर परिषद के

जनपद के सामने पड़े कचरे को देख खुद ही उठाने मजबूर हुए समाजसेवी विरेंद्र बिहारी शुक्ला

डिंडौरी(संतोष सिंह राठौर )-: डिंडौरी एक तरफ शासन के द्वारा स्वच्छता अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है, तो वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। डिंडौरी जनपद पंचायत के सामने का नजारा प्रशासन की लापरवाही और नगर परिषद के ढुलमुल रवैये की पोल खोल रहा है। जहां एक कार्यक्रम के बाद, कार्यक्रम में इस्तेमाल की गई खाने के डिस्पोजल प्लेट खुले में ही छोड़ दिए गए, जिससे कचरा का ढेर लग गया। यह कचरे का अंबार सीधे जनपद पंचायत के गेट के सामने लगा हुआ था, जो स्वच्छता के सारे दावों को झूठा साबित कर रहा है।

कचरा उठाने की जिम्मेदारी किसने ली?

आमतौर पर, ऐसे सार्वजनिक स्थलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी नगर परिषद की होती है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस कचरे को हटाने का जिम्मा नगर परिषद ने नहीं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ता वीरेंद्र बिहारी शुक्ला और जनपद पंचायत के बड़े बाबू गिरीश तिवारी ने मिलकर उठाया। इन दोनों ने मिलकर स्वयं सफाई का बीड़ा उठाया और इस गंदगी को साफ किया। यह घटना नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या नगर परिषद के पास इतनी भी क्षमता नहीं है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली जगहों की साफ-सफाई सुनिश्चित कर सके? या फिर जानबूझकर इस तरह की लापरवाही की जा रही है?

प्रशासनिक अधिकारियों के रास्ते में ही गंदगी

इस पूरे मामले का एक और पहलू बेहद चिंताजनक है। यह कचरे का ढेर उसी रास्ते पर लगा था, जहां से कलेक्टर और विधायक जैसे जिले के शीर्ष अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपने बंगला आते और जाते हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि जब अधिकारियों की नजर के सामने ही इतनी बड़ी लापरवाही हो रही है, तो आम जनता के क्षेत्रों में क्या हाल होगा? यह साफ है कि नगर परिषद अपने काम के प्रति गंभीर नहीं है और उसने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रखा है।

कब सुधरेगा नगर परिषद की खोली स्वच्छता का क्रम?

यह घटना कोई पहली बार नहीं है। डिंडौरी शहर के कई इलाकों में अक्सर इसी तरह की गंदगी देखी जाती है। जनता लगातार नगर परिषद से बेहतर व्यवस्था की मांग करती रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। आज जब एक गैर-सरकारी व्यक्ति और एक सरकारी कर्मचारी को मिलकर सफाई का जिम्मा उठाना पड़ा, तो यह नगर परिषद के लिए एक शर्मनाक स्थिति है। यह सवाल हर नागरिक के मन में है कि आखिर नगर परिषद का रवैया कब सुधरेगा? क्या उन्हें किसी बड़ी बीमारी या दुर्घटना का इंतजार है?

डिंडौरी जनपद पंचायत के सामने की यह घटना एक आइना है, जो नगर परिषद की निष्क्रियता और अधिकारियों की घोर लापरवाही को दिखाती है। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेते हुए, नगर परिषद अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएगी और शहर को स्वच्छ रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से पालन करेगी। अन्यथा, जनता का धैर्य जवाब दे सकता है और उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

इनका कहना है

आज देश के परधान मंत्री जी के जन्मदिन को स्वछता के रूप में मनाया जा रहा है ऐसे में मैं यहाँ से गुजर रहा था तो देखा की जनपद के सामने कचरा पडा हुआ है जिसे मेरे द्वारा एकट्ठाकर नगरपरिषद के कर्मचारियों के सहयोग से उठवाया जाएगा रही बात तो कचरा उठाने की तो नगर परिषद के द्वारा उठाया जाना चाहिए था और जनपद के कर्मचारी भी इसको उठवा सकते थे।

बिरेन्द्र बिहारी शुक्ला
समाजसेवी एवं भाजपा कार्यकर्ता

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