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शिक्षा का जूनून ऐसा की शासन को चुनौती दे स्वयं की राशि से शिक्षकों ने विद्यालय का कराया मरम्मत

एक वर्ष पूर्व डिस्मेंटल हो गया था प्रायमरी स्कूल का खंडहर भवन उसके बाद अतिरिक्त भवन में लगा रहें थें क्लास

छत से प्लास्टर गिरने पर पंद्रह दिन निजी भवन में लगाया, फिर शिक्षक शिक्षिकाओं ने स्वयं से राशि जमाकर जर्जर स्थानों का कराया मरम्मत

 

डिंडौरी ( संतोष सिंह राठौर)-: डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत भलखोहा के पोषक गांव तबलूटोला के प्रायमरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक और शिक्षिकाओं ने शिक्षा के प्रति समर्पण की मिसाल पेश करते हुए क्षतिग्रस्त अतिरिक्त भवन को अपने निजी खर्च से की मरम्मत कराई है। प्रभारी प्रधान पाठक डीलन सिंह धुर्वे, शिक्षिका शुभांगी तेकाम और अंजली कुंभरे ने व्यक्तिगत रूप से आठ-आठ हजार रुपये का योगदान देकर कुल 24 हजार रुपये की राशि से भवन को बच्चों के बैठने योग्य बनाया। उल्लेखनीय है कि इस कार्य में किसी प्रकार की कंटीजेंसी राशि का उपयोग नहीं किया गया।
स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) की बैठक में निर्णय लिया गया कि बच्चों की पढ़ाई में बाधा न आए, इसके लिए कक्षाओं का संचालन इसी भवन से किया जाए। बैठक में अभिभावकों ने भी सहमति जताई। गौरतलब है कि पूर्व में बच्चों को भलखोहा माल स्कूल में मर्ज करने का प्रस्ताव आया था, लेकिन दूरी और परिवहन की दिक्कत को देखते हुए अभिभावकों ने इसका विरोध किया और बच्चों को यथास्थान पढ़ाने पर जोर दिया।
सुविधाओं का संकट बरकरार
मरम्मत के बाद भवन में बच्चों के बैठने की व्यवस्था तो हो गई है, लेकिन अब भी कई गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं। स्कूल परिसर में शौचालय नहीं है, जिससे बच्चों को खासी परेशानी होती है। इसके अलावा बाउंड्री वॉल का अभाव बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। स्कूल का संचालन सिवनी नदी और श्मशान घाट के पास स्थित होने से अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार चिंतित रहते हैं। स्कूल में अध्ययनरत पांचवीं की छात्रा ने कहा कि उन्हें अपने गांव में ही एक सर्वसुविधायुक्त सरकारी भवन की आवश्यकता हैं क्योंकि यहां का स्कूल कहीं और मर्ज कर दिया जाता हैं तो बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो दूरी के कारण स्कूल नहीं जाएंगे और कुछ चाहकर भी नहीं पढ़ पाएंगे दोनों ही स्थिती में नुकसान केवल बाल शिक्षा का हैं ,कक्षा चौथी की छात्रा तमन्ना माहेश्वरी ने बताया कि सामने विशाल सिवनी नदी हैं बरसात के दिनों में जब अधिक बारिश के बाद जब इसका जलस्तर बढ़ता है तो उनके मन में भय उपज जाता हैं कि कहीं यह बाढ़ हमें और स्कूल की चपेट में न ले लें इसी तरह आसपास बेतहाशा बरसाती झाड़ियों से अनेकों बार सांप निकल कर सामने तक आ गया है ऐसे माहौल बने रहने से उनका पढ़ाई में कम और खुद के सुरक्षा में ज्यादा लगा रहता हैं।
एक कक्ष में कई कक्षाएं
गत वर्ष जर्जर भवन को डिस्मेंटल कर दिया गया था। वर्तमान में मरम्मत किए गए अतिरिक्त भवन में एक ही कमरे में तीन कक्षाओं का संचालन हो रहा है, जबकि बरामदे में दो कक्षाएं लगाई जा रही हैं। इस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और शिक्षकों को भी पढ़ाने में दिक्कत आती है।
शिक्षकों की पहल सराहनीय
सीमित संसाधनों के बावजूद शिक्षकों ने जिस तरह से अपने वेतन से राशि निकालकर भवन को दुरुस्त कराया है, वह सराहनीय है। इससे यह भी साबित होता है कि शिक्षक केवल शिक्षण कार्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।

अभिभावकों और ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से अपेक्षा जताई है कि विद्यालय की बुनियादी समस्याओं जैसे शौचालय, बाउंड्री वॉल और पर्याप्त कक्षाओं का समाधान जल्द किया जाए, ताकि बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। दूसरी तरफ जनपद मुख्यालय में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारी और जनशिक्षक तथा संकुल प्राचार्य की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं ,कि इन्होंने अपने निरीक्षण के दौरान तबलूटोला के स्कूल को देखें या नहीं और नहीं देखें तो केवल कुर्सी तोड़ने के लिए अधिकारी बने हैं सरकार से तनख्वाह के रूप में मोटी रकम लेकर कार्यालय में बैठे बैठे ही सब OK कर रहे हैं हालांकि जिम्मेदारों की उदासीनता ने यहां के नौनिहालों को सरकार की तमाम सुविधाओं से अब तक वंचित रखा हैं ग्रामीणों ने कहा कि जब स्कूल का वर्षों पुराना खंडहर भवन डिस्मेंटल किया गया और अतिरिक्त भवन क्षतिग्रस्त था तभी चेत गये होते तो आज तलक शायद मजबूत व्यवस्था बन गया होता लेकिन इन्होंने जानबूझकर ध्यान नहीं दिया इसलिए यह स्थिति हैं।

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